बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

अरविन्द गौतम की कविता


आइए मैं आपको अपनी
कविता से मिलाता हॅू।

रहती है मेरे साथ साथ
मेरे साये की तरह
अपनी ऐसी कविता से
आपको रूबरू करता हॅू

आइए मैं आपको अपनी
कविता से मिलाता हॅू।

मैं कवि हॅू, केवल कवि,
केवल कविता बनाता हूॅ
और उस जन को
नहीं जो कुछ और है
सिवाय श्रोताजन के
उस श्रोताजन को
मैं कविता सुनाता हॅू।

आइए मैं आपको अपनी
कविता से मिलाता हॅू।

मैं कविता बनाता हॅू,
सहेजता और सुधारता हॅू
जाति, धर्म, उॅच, नीच,
जैसी विषम राहों से
बचकर चलने का हुनर
कविता को सिखाता हॅू।

आइए मैं आपको अपनी
कविता से मिलाता हॅू।





शनिवार, 28 सितंबर 2013